सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार ने एक नया नियम जारी किया है. यह नियम सुरक्षा ऑडिट का है. सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने यह पहल की है. इसका ऐलान केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने किया. नितिन गडकरी ने कहा कि सड़क निर्माण के सभी चरणों में दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य कर दिया गया है.
नितिन गडकरी ने बताया कि भारत और अन्य विकासशील देशों में सड़क दुर्घटनाओं की दर बहुत अधिक है और हर साल लगभग 1.5 लाख लोग मारे जाते हैं, जो कि कोविड मौतों से भी अधिक है. उन्होंने आगे कहा कि उनका विचार है कि 2030 तक सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत की कमी और दुर्घटनाओं व मौतों को शून्य करना है. गडकरी ने कहा कि लगभग 60 प्रतिशत मौतें दुपहिया सवारों की होती हैं.
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि मोटरसाइकिल यातायात की सुरक्षा इस समय की मांग है. उन्होंने आगे बताया कि दुनिया में वाहन इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी काफी हद तक परिपक्व हो गई है और सभी सड़क इंजीनियरिंग उपायों से कम से कम दुर्घटना की घटना के दौरान घातक वाहन टक्कर की आशंका में सुधार होगा. गडकरी ने कहा कि अच्छी सड़कें बनाना और सड़क के बुनियादी ढांचे में सुधार करना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है. उन्होंने आगे कहा कि जागरूकता पैदा करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी पक्षों के बीच सहयोग और तालमेल जरूरी है.
क्या है सुरक्षा ऑडिट
दरअसल, किसी भी नए या पहले से बने राष्ट्रीय राजमार्ग को शुरू करने से पहले उसका सुरक्षा ऑडिट किया जाता है. इस ऑडिट में यह जांच की जाती है कि सड़क हादसे की आशंका कितनी है. जब यह ऑडिट अनिवार्य हो गया है तो जब तक सुरक्षा की मुकम्मल जांच नहीं हो जाती, तब तक उस पर यातायात शुरू नहीं होगा. यह नियम रेलवे में पहले से है. रेल ट्रैक का पहले सुरक्षा ऑडिट होता है, फिर ऑडिटर की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद ही रेल यातायात शुरू की जाती है. अब यही नियम सड़कों को लेकर शुरू किया गया है. सरकार ने इसे अनिवार्य बना दिया है.
ऑडिट में क्या होगी छानबीन
विशेषज्ञ सड़क सुरक्षा उपाय के तहत सड़कों पर बने फुटओवर ब्रिज, अंडरपास, स्पीड ब्रेकर, सड़क पर गाड़ियों की रफ्तार, पेव शोल्डर. इंटरचेंज, रेलवे क्रॉसिंग, बाजार या स्कूल के पास रोड पर लगे साइन बोर्ड, सड़कों पर चेतावनी के लिए लगाए गए साइन बोर्ड और संभावित खतरे, तीव्र मोड़ आदि की जानकारी देते हैं. अगर ऑडिट में इन बातों का जिक्र और जांच में पाई गई खामियों के बारे में जानकारी नहीं दी जाएगी तो यातायात शुरू करने में विलंब हो सकता है. ऑडिट में यह भी देखा जाएगा कि सड़क बनाने वाली कंपनी ने कहीं पैसे बचाने के लिए घटिया सामानों का इस्तेमाल तो नहीं किया. कहीं निर्माण में सुरक्षा के उपायों की अनदेखी तो नहीं की गई. इन सभी बातों पर तसल्ली पाने के बाद ही सड़कों पर यातायात की इजाजत दी जाएगी.
सरकार की तैयारी
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद का गठन किया है जिसका काम सड़क परिवहन क्षेत्र में सुरक्षा के मानकों, नीतियों के संबंध में योजना बनाना और समन्वय करना है. इसके साथ ही राज्य सड़क सुरक्षा संगठनों द्वारा लागू किए जाने वाले सड़क सुरक्षा कार्यक्रमों को तैयार करना और उनकी सिफारिश करना, सड़क परिवहन क्षेत्र में सुरक्षा के पहलू में सुधार के लिए रिसर्च और विकास के बारे में सुझाव देना शामिल है. सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों की हिफाजत और उनका विश्लेषण करना और राज्यों एवं केंद्र शासित एजेंसियों द्वारा अपनाए जाने वाले सड़क सुरक्षा उपायों पर नजर रखना और उनकी निगरानी करना है.
अभी राजमार्गों का चार चरणों में सुरक्षा ऑडिट कराया जा रहा है. पहले चरण में सड़क के शुरुआती डिजाइन का ऑडिट होता है. उसके बाद पूरा डिजाइन तैयार होने के बाद उसका ऑडिट किया जाता है. तीसरे चरण में राजमार्ग के निर्माण के दौरान ऑडिट होता है. अंत में और चौथे चरण में सड़क शुरू करने से पहले सुरक्षा का ऑडिट होता है. अगर राजमार्ग का चौड़ीकरण हो रहा है तो उसके लिए भी ऑडिट करना होगा. यह काम 12 महीने से 36 महीने के बीच पूरा करना होगा. इसके बाद ही यातायात की इजाजत मिलती है.