सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वन नेशन वन राशन कार्ड योजना को लागू करने का निर्देश दिया है। 2019 में ये स्कीम तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू हुई थी। 1 जून 2020 तक इसे पूरे देश में लागू किया जाना था, पर कोरोना की वजह से इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका है।
हालांकि इसी कोरोना के कारण इसकी जरूरत को और शिद्दत से महसूस किया गया। अगर ये योजना लागू हो गई होती तो प्रवासी मजदूरों की परेशानी काफी कम हो सकती थी। इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर राज्य 31 जुलाई तक निश्चित तौर पर वन नेशन वन राशन कार्ड की स्कीम लागू करे ताकि हर प्रवासी मजदूर को देश के किसी भी हिस्से से अपना राशन मिल सके।
वन नेशन वन राशन कार्ड योजना क्या है? अब तक कितने राज्यों में लागू हो चुकी है? इससे क्या फायदा होने वाला है? स्कीम के लागू होने के बाद क्या बदलेगा? योजना लागू होने के बाद राशन दुकानों में क्या बदलेगा? क्या इसके लिए नया राशन कार्ड बनेगा? आइए समझते हैं...
वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम क्या है?
आपने वन नेशन वन टैक्स यानी GST के बारे में सुना ही होगा। GST आने के बाद देश में अलग-अलग टैक्सों को मिलाकर एक कर दिया गया और अब पूरे भारत में केवल एक ही टैक्स लगता है। ठीक इसी तरह अभी हर राज्य में अलग-अलग राशन कार्ड हैं।
वन नेशन वन राशन कार्ड के तहत इन सभी राशन कार्ड को एक सेंट्रल सिस्टम के जरिए जोड़ दिया जाएगा। फिर आपको ये सुविधा मिलेगी कि देश में किसी भी राशन दुकान से आप एक ही राशन कार्ड के जरिए राशन ले सकेंगे। यानी, भले ही आपका राशन कार्ड भोपाल का हो आपको उससे दिल्ली में भी राशन मिल जाएगा।
2019 में केंद्रीय खाद्यमंत्री रामविलास पासवान ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस योजना को 4 राज्यों में शुरू किया था। ये राज्य थे - तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्रप्रदेश। धीरे-धीरे इस योजना में बाकी राज्यों को भी शामिल किया गया। जनवरी 2020 में खाद्यमंत्री रामविलास पासवान ने ऐलान किया था कि 1 जून 2020 तक पूरे देश में इस स्कीम को लागू कर दिया जाएगा। हालांकि, अब तक ऐसा नहीं हो सका।