Saturday, September 21, 2024

जब खुद गाड़ी में बैठ अमिताभ बच्चन से धक्का लगवाते थे शत्रुघ्न सिन्हा…



अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा की दोस्ती पुरानी है। दोनों न सिर्फ पर्दे पर साथ नजर आए बल्कि रियल लाइफ में भी उतने ही करीब हैं। इसकी एक बानगी तब देखने को मिली थी जब दोनों एक साथ एक टीवी चैट शो में पहुंचे थे। इसमें अमिताभ और शत्रुघ्न ने एक-दूसरे की पर्सनल जिंदगी से जुड़े तमाम सीक्रेट्स फैंस के साथ शेयर किये थे। अमिताभ बच्चन ने एक किस्सा शेयर करते हुए बताया था कि शत्रुघ्न, उनसे पहले इंडस्ट्री में आ गए थे और अपना पैर जमा लिया था।उनके पास फ्लैट और गाड़ी भी थी। दूसरी तरफ, अमिताभ बच्चन उस वक्त मायानगरी में नए थे और धक्के खा रहे थे।



गाड़ी बंद होने पर लगवाते थे धक्का: शत्रुघ्न और अमिताभ बच्चन के साथ उनके कुछ और दोस्त भी हुआ करते थे। जब भी ये टोली फ्री होती थी तो घूमने-फिरने या फिल्म देखने निकल पड़ती थी। अमिताभ बच्चन बताते हैं कि शत्रुघ्न सिन्हा के घर पर ही सब मिला करते थे और वहीं से आगे के लिए रवाना हुआ करते थे। शत्रुघ्न के पास एक गाड़ी हुआ करती थी, टूटी फूटी सी। जिसमें बैठकर सभी जाया करते थे। रास्ते में जब वो बंद हो जाती थी तो हम सब को उतार कर खुद बैठे रहते थे और हमें अनोखे अंदाज में धक्का मारने को कहते थे।


ये किस ऊंट को ले आए? इसी चैट शो में शत्रुघ्न बताते हैं कि उस वक्त अमिताभ नए-नए आए थे, तो कोई एक्सपेक्ट नहीं कर सकता था कि जो शख्स स्ट्रगल करने आया है एक दिन इतना बड़ा स्टार बन जाएगा। एक बार तो एक ने मुझे कहा था कि ये किस ऊंट को ले आए हैं, बाद में उन्होंने ही अमिताभ के साथ फिल्म की। उनकी फिल्म के हीरो बने और उनकी फिल्म में विलेन मैं बना।




यूं हुई थी मुलाकात: अमिताभ बताते हैं कि शत्रु और उनके सेक्रेटरी एक ही हुआ करते थे- पवन कुमार जी। उन्हीं के जरिये उनकी मुलाकात हुई थी। बकौल अमिताभ, शत्रु हमसे पहले से थे और हमारे सीनियर थे। उन्हें काफी सक्सेज मिल चुकी थी। ये हमारे लिए बहुत बड़े हीरो थे। हम लोगों के पास कुछ नहीं था। इनका एक अपार्टमेंट था तो हम इन्हीं के यहां मिला करते थे। इन्हीं के साथ घूमना फिरना भी होता था।



हमेशा हो जाते थे लेट: अमिताभ ने शत्रुघ्न सिन्हा की लेट-लतीफा का किस्सा सुनाते हुए कहा था कि ये जहां भी जाते हैं, हमेशा लेट पहुंचते हैं।अमिताभ ने बताया था कि हम एक दिन में दो-दो शिफ्ट्स में काम करते थे। सुबह ‘शान’ की शूटिंग और शाम को ‘नसीब’ की शूटिंग होती थी। ऐसे में ये हर बार लेट पहुंचते थे। हम 9 बजे आएं तो ये 12 बजे आते थे। फिर दूसरी शूटिंग के लिए जाना हो तो ये वहां भी लेट पहुंचते थे।


एक गाड़ी थी, छोटी सी टूटी-फूटी। बांद्रा से जब हमें कोलाबा जाना होता था तो सब उसमें बैठ कर जाते थे। फिल्म देखनी है, सब बैठ गए…आधे रास्ते जाकर वह रुक जाती थी। इनका जो तेवर है ना, आज तक नहीं बदला है। बैठे हैं गाड़ी में – अरे चलो यार धक्का लगाओ, तो हम सब उतर कर धक्का लगाया करते थे और ये गाड़ी में बैठे रहते थे

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